गौतम बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बुद्ध के जीवन की विशेष माहिती विकिपीडिया पर से संकलित करके रखी गई है।
गौतम बुद्ध
उपदेश
भगवान बुद्ध ने लोगों को मध्यम मार्ग का उपदेश किया। उन्होंने दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। उन्होंने अहिंसा पर बहुत जोर दिया है। उन्होंने यज्ञ और पशु-बलि की निंदा की। बुद्ध के उपदेशों का सार इस प्रकार है -
सम्यक ज्ञान
बुद्ध के अनुसार धम्म है: -
जीवन की पवित्रता बनाए रखना
जीवन में पूर्णता प्राप्त करना
निर्वाण प्राप्त करना
तृष्णा का त्याग
यह मानना कि सभी संस्कार अनित्य हैं
कर्म को मानव के नैतिक संस्थान का आधार मानना
बुद्ध के अनुसार अ-धम्म है: -
परा-प्रकृति में विश्वास करना
आत्मा में विश्वास करना
कल्पना-आधारित विश्वास मानना
धर्म की पुस्तकों का वाचन मात्र
बुद्ध के अनुसार सद्धम्म क्या है: -
1. जो धम्म प्रज्ञा की वृद्धि करे--
जो धम्म सबके लिए ज्ञान के द्वार खोल दे
जो धम्म यह बताए कि केवल विद्वान होना पर्याप्त नहीं है
जो धम्म यह बताए कि आवश्यकता प्रज्ञा प्राप्त करने की है
2. जो धम्म मैत्री की वृद्धि करे--
जो धम्म यह बताए कि प्रज्ञा भी पर्याप्त नहीं है, इसके साथ शील भी अनिवार्य है
जो धम्म यह बताए कि प्रज्ञा और शील के साथ-साथ करुणा का होना भी अनिवार्य है
जो धम्म यह बताए कि करुणा से भी अधिक मैत्री की आवश्यकता है।
3. जब वह सभी प्रकार के सामाजिक भेदभावों को मिटा दे
जब वह आदमी और आदमी के बीच की सभी दीवारों को गिरा दे
जब वह बताए कि आदमी का मूल्यांकन जन्म से नहीं कर्म से किया जाए
जब वह आदमी-आदमी के बीच समानता के भाव की वृद्धि करे
गौतम बुद्ध
उपदेश
भगवान बुद्ध ने लोगों को मध्यम मार्ग का उपदेश किया। उन्होंने दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। उन्होंने अहिंसा पर बहुत जोर दिया है। उन्होंने यज्ञ और पशु-बलि की निंदा की। बुद्ध के उपदेशों का सार इस प्रकार है -
सम्यक ज्ञान
बुद्ध के अनुसार धम्म है: -
जीवन की पवित्रता बनाए रखना
जीवन में पूर्णता प्राप्त करना
निर्वाण प्राप्त करना
तृष्णा का त्याग
यह मानना कि सभी संस्कार अनित्य हैं
कर्म को मानव के नैतिक संस्थान का आधार मानना
बुद्ध के अनुसार अ-धम्म है: -
परा-प्रकृति में विश्वास करना
आत्मा में विश्वास करना
कल्पना-आधारित विश्वास मानना
धर्म की पुस्तकों का वाचन मात्र
बुद्ध के अनुसार सद्धम्म क्या है: -
1. जो धम्म प्रज्ञा की वृद्धि करे--
जो धम्म सबके लिए ज्ञान के द्वार खोल दे
जो धम्म यह बताए कि केवल विद्वान होना पर्याप्त नहीं है
जो धम्म यह बताए कि आवश्यकता प्रज्ञा प्राप्त करने की है
2. जो धम्म मैत्री की वृद्धि करे--
जो धम्म यह बताए कि प्रज्ञा भी पर्याप्त नहीं है, इसके साथ शील भी अनिवार्य है
जो धम्म यह बताए कि प्रज्ञा और शील के साथ-साथ करुणा का होना भी अनिवार्य है
जो धम्म यह बताए कि करुणा से भी अधिक मैत्री की आवश्यकता है।
3. जब वह सभी प्रकार के सामाजिक भेदभावों को मिटा दे
जब वह आदमी और आदमी के बीच की सभी दीवारों को गिरा दे
जब वह बताए कि आदमी का मूल्यांकन जन्म से नहीं कर्म से किया जाए
जब वह आदमी-आदमी के बीच समानता के भाव की वृद्धि करे
0 comments:
Post a Comment