🌟🌷 जंतर- मंतर🏰☀🌌 🌷🌟
✒भव्यराजसिंह राठोड
〰 दिल्ली कनॉट प्लेसमें स्थित स्थापत्य कला का अद्वितीय नमूना 'जंतर है एक मंतर' दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से.
〰यह है एक वेधशाला🌌. जिसमें 1⃣3⃣ खगोलीय यंत्र लगे हुए हैं.
〰यह राजा जयसिंह 👤👑 द्वारा डिजाईन की गयी थी.
〰एक फ्रेंच लेखक 'दे बोइस' के अनुसार राजा जयसिंह खुद अपने हाथों से इस यंत्रों के मोम के मोडल तैयार करते थे.
〰जयपुर की बसावट के साथ ही तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह [द्वितीय] ने जंतर-मंतर का निर्माण कार्य शुरू करवाया, महाराजा ज्योतिष शास्त्र 🌌में दिलचस्पी रखते थे और इसके ज्ञाता थे.
〰जंतर-मंतर को बनने में करीब 6 साल लगे और 1734 में यह बनकर तैयार हुआ. इसमें ग्रहों की चाल का अध्ययनकरने के लिए तमाम यंत्र बने हैं.
〰यह इमारत🏰 प्राचीन भारत कीवैज्ञानिक उन्नति है की मिसाल.
〰दिल्ली का जंतर-मंतर समरकंद [उज्बेकिस्तान] की वेधशाला 🌌🏰से है प्रेरित.
〰मोहम्मद शाह के शासन काल में हिन्दु और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों 🌏🌞की स्थित को लेकिर बहस छिड़ गई थी.
〰 इसे खत्म करने के लिए सवाई जय सिंह ने जंतर-मंतर का निर्माण करवाया.
〰राजा जयसिंह ने भारतीय खगोलविज्ञान को यूरोपीय खगोलशास्त्रियों के विचारों से से भी जोड़ा.
〰 उनके अपने छोटे से शासन काल में उन्होंने खगोल विज्ञानमें अपना जो अमूल्य योगदान दिया हैउस के लिए इतिहास सदा उनका ऋणी रहेगा.🇮🇳🙏
〰🌟जंतर मंतर के कुछ उपकरणोकी जानकारी🌟〰
〰ग्रहों की गति नापने के लिए यहां विभिन्न प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं.
〰सम्राट यंत्र〰
जंतर मंतर, में सम्राट यंत्रयह सूर्य की सहायता से वक्त और ग्रहों की स्थिति की जानकारी है देता.
〰मिस्र यंत्र 〰
मिस्र यंत्र वर्ष के सबसे छोटेओर सबसे बड़े है दिन को नाप सकता.
〰राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र〰
राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों है बारे में बताता के की गति.
💲🔚🔚🔚🔚🔚🔚🔚🔚💲
✒भव्यराजसिंह राठोड
〰 दिल्ली कनॉट प्लेसमें स्थित स्थापत्य कला का अद्वितीय नमूना 'जंतर है एक मंतर' दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से.
〰यह है एक वेधशाला🌌. जिसमें 1⃣3⃣ खगोलीय यंत्र लगे हुए हैं.
〰यह राजा जयसिंह 👤👑 द्वारा डिजाईन की गयी थी.
〰एक फ्रेंच लेखक 'दे बोइस' के अनुसार राजा जयसिंह खुद अपने हाथों से इस यंत्रों के मोम के मोडल तैयार करते थे.
〰जयपुर की बसावट के साथ ही तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह [द्वितीय] ने जंतर-मंतर का निर्माण कार्य शुरू करवाया, महाराजा ज्योतिष शास्त्र 🌌में दिलचस्पी रखते थे और इसके ज्ञाता थे.
〰जंतर-मंतर को बनने में करीब 6 साल लगे और 1734 में यह बनकर तैयार हुआ. इसमें ग्रहों की चाल का अध्ययनकरने के लिए तमाम यंत्र बने हैं.
〰यह इमारत🏰 प्राचीन भारत कीवैज्ञानिक उन्नति है की मिसाल.
〰दिल्ली का जंतर-मंतर समरकंद [उज्बेकिस्तान] की वेधशाला 🌌🏰से है प्रेरित.
〰मोहम्मद शाह के शासन काल में हिन्दु और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों 🌏🌞की स्थित को लेकिर बहस छिड़ गई थी.
〰 इसे खत्म करने के लिए सवाई जय सिंह ने जंतर-मंतर का निर्माण करवाया.
〰राजा जयसिंह ने भारतीय खगोलविज्ञान को यूरोपीय खगोलशास्त्रियों के विचारों से से भी जोड़ा.
〰 उनके अपने छोटे से शासन काल में उन्होंने खगोल विज्ञानमें अपना जो अमूल्य योगदान दिया हैउस के लिए इतिहास सदा उनका ऋणी रहेगा.🇮🇳🙏
〰🌟जंतर मंतर के कुछ उपकरणोकी जानकारी🌟〰
〰ग्रहों की गति नापने के लिए यहां विभिन्न प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं.
〰सम्राट यंत्र〰
जंतर मंतर, में सम्राट यंत्रयह सूर्य की सहायता से वक्त और ग्रहों की स्थिति की जानकारी है देता.
〰मिस्र यंत्र 〰
मिस्र यंत्र वर्ष के सबसे छोटेओर सबसे बड़े है दिन को नाप सकता.
〰राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र〰
राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों है बारे में बताता के की गति.
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